जिला जांजगीर चांपा /छ.ग.)
प्रदेश रिपोर्टर अमीरकुमार (राजा) के साथ जिला रिपोर्टर अनंत कुमार चौधरी ,रिपोर्टर रामकुमार की ब्यूरो रिपोर्ट 24आज तक लाइव न्यूज।
बीसी सखियो ने अपने मानदेय बढ़ाने के लिए जिला कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला सर को ज्ञापन सौंपा ।
राष्ट्रीय आजीविका मिशन योजना के अंतर्गत गांव गांव में बिना वेतन के कर रहे है घर पहुंच सेवाए
शासन की सभीं प्रकार की जनकल्याणकारी योजनाएं घर तक पहुंचाने में महिलाएं अग्रणी
बेला दू ला/ जब से नरेंद्र मोदी जी की अगुवाई में डिजिटल इंडिया का नारा गांव गांव सहित गली गली में गूंजने लगी है तब से गांव अब गांव नही रहा वहा सभी प्रकार से सेवाए शहरो से लेकर महानगरों की तर्ज पा होने लगा है चाहे वह बैंकिंग सुविधा हो या ऑनलाइन कार्य हो रेलवे टिकट का कार्य हो या किसी भी प्रकार की कंप्यूटर ऑनलाइन कार्य का हो सभी प्रकार का कार्य अब लगभग सभी गांव में होने लगा है इसी तारतम्य में गांव गांव में घर पहुंच सेवाए देने राष्ट्रीय आजीविका मिशन योजना के अंतर्गत बीसी प्वाइंट सखियों का नियुक्ति पिछले दो साल पूर्व किया गया था जिसमे महिला समूह की पंजीकृत सदस्य को बैंक मित्र बीसी सखी बनाया गया है जिसमे तो शुरुवात में 1000 रुपए तथा कुछ माह बाद 1500 पंद्रह सौ रुपए मान देय के रूप में शासन स्तर से प्रदान किया जा रहा था लेकिन सरकार ने अब महिलाओ को पूर्ण निराशा जनक कर दिया है उन्हे अब किसी तरह से कोई भी मानदेय या भत्ता या वेतन नहीं मिलता है बिल्कुल शासन स्तर से फ्री कार्य महिलाओ को कराया जा रहा है जिससे महिलाओ में काफी आक्रोश पनप रहा है इसी बात को जांजगीर चांपा जिला प्रशासन को 25 मई 2022 को जांजगीर चांपा जिले के सभी बीसी सखियों ने अपनी मान देय शुरू करने ज्ञापन सौंपा है जिसमे बीसी सखियों की मुख्य मांगे शामिल हैं
बिहान के सभी केडरो को मान देय प्रदान किया जाता है सिर्फ बीसी सखियों को प्रदान नही किया जाता है, बीसी सखियों को लेन देन करने में जो कमीसन प्राप्त होता है वह बिल्कुल भी नही के बराबर है जिससे आने जाने या नेट खर्च भी नही निकल पता , बहुत से बीसी सखि अब काम करना इसी कारण से बंद कर दिए हैं जिसमे किसी भी का कोई सपोर्ट नहीं मिल पाता है जिसमे न तो पंचायत का , ना ही जनपद का इसमें कोई स्थान नहीं मिल पा रहा है, जिले के अधिकतर महिला लोन लेकर कार्य कर रहे हैं जिसमे 80 प्रतिशत समान के रूप में 20 प्रतिशत नगद भुगतान किया गया है जिससे लोन की किस्त जमा करने में बीसी सखियों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, डिवाइस खराब हो जाने से अपने रुपए से खुद खरीदना पड़ता है शासन स्तर पर कोई सामग्री प्रदान नही किया जाता है, जिसमे बजट के अभाव में बहुत से बीसी सखि अब काम करना बंद करने का कगार पर है जिससे शासन की योजनाएं आम जनता तक नही पहुंच पाएंगे, बीसी सखियों को बोला जाता है कि मनरेगा कार्य स्थल पर जाकर पेमेंट भुगतान किया करो अधिकार गांव में मनरेगा का कार्य बंद है निकासी किसका करे
गांव गांव में बिना किसी मापदंड के अनेकों बैंकिंग प्वाइंट
जैसे की ज्ञात है की शासन स्तर से बैंकिंग सुविधा प्रदान करने अनेकों बैंकिंग प्वाइंट गांव गांव में किसी भी को प्राइवेट कंपनी के द्वारा मोबाइल ऐप्स के माध्यम से प्रदान किया जा रहा है तथा अभी भी लगभग सभी गांव में 5 से 6 बैंकिंग प्वाइंट उपलब्ध है जो घर घर जाकर अनपढ़ पेंशन धारी महिलाओ बुजुर्ग का अंगूठे लेकर पेमेंट नही आया है कहकर गुमराह किया जाता है जिससे अन्य बैंक बीसी सखियों को सुनना पड़ता है शासन स्तर से ऐसे गांव गांव में अनेकों जो बिना किसी मापदंड के संचालन कर रहे हैं उन पर कार्यवाही कर या जहा बीसी सखि प्वाइंट है उनके। कार्य क्षेत्र का अन्य मोबाइल ऐप्स वाले बैंकिग प्वाइंट को बंद की जानी चाहिए जिससे की शासन स्तर से मान्यता प्राप्त बीसी सखियों का लेन देन भी बड़ेगा तथा ग्राहकों को भी सुविधा मिलेगी
अनेकों मोबाइल ऐप्स बाजार में उपलब्ध
जैसे की आप सब को ज्ञात है की जब से डिजिटल इंडिया आई है तथा लोगो का आधार कार्ड से लेन देन शुरू किया गया है तब से बाजार में पेय नियर, स्पाइस मानी, सही पेय, रेपी पेय, सहित दर्जनों मोबाइल ऐप्स है जो बिना किसी माप दंड के किसी को भी बैंकिंग कार्य करने का आईडी प्रदान कर देते हैं ऐसे में गांव में बीसी सखियों को लेन देन करने ग्राहकों की तलाश करने मजबूर हो जाते हैं तथा लेन देन के लिए पहले की अपेक्षा काफी गिरावट आई है तथा कमीसन तो अब जीरो की कगार पर है
घर पहुंच सेवाए देने में महिलाएं सबसे आगे
शासन स्तर से पीएम किसान सम्मान निधि का राशि, मनरेगा का राशि, पेंशन का राशि भुगतान घर जाकर हितग्राहियों को प्रदान हो जाने से गांव की महिलाओं बुजुर्गो,। दिव्यांग को काफी हद तक लाभ मिला है शासन स्तर से अनेकों प्रकार की बीमा योजनाएं, जनकल्याणकारी योजनाओं से लेकर नया खाता खोलने का कार्य घर जाकर हितग्राहियों को लाभ पहुंचाने वाले महिलाओ के साथ आज बिना किसी मान देय के कार्य करना पड़ रहा है जिससे अपने रोजी रोटी सहित परिवार चलाने दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है
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