प्रदेश में कोविड संक्रमण का खतरा तेज हैं तो सम्पूर्ण लॉकडाउन करें- लालू गबेल
लोगो की जान खतरे में क्यों डाले, खतरा है तो पूर्ण छत्तीसगढ़ सील करें।
धीरे धीरे बंद करने के कारण ही कोरोना संक्रमण फैलकर प्रदेश के हजारों घरों को बर्बाद कर लोगो की जानें ले चुका है।
हमारे पास कोरोनाकाल के बीते सालों का अनुभव है। कोरोना को रोकने एकमात्र सम्पूर्णबंदी ही उपाय है।
वैक्सीन वाले भी आ रहे पॉजिटिव, मतलब कोरोना कोई छोटा मोटा खिलाड़ी नही है।
जिसने आज तक के इतिहास में सालों तक सबसे बड़ी तबाही मचा रखा है।
मालखरौदा- सामाजिक कार्यकर्ता लालू गबेल ने कोरोना काल में कोरोना से लड़ने मालखरौदा क्षेत्र में एक अति-अहम भूमिका निभाते आ रहे है। और खुद जान जोखिम में डालकर कोरोना से क्षेत्र के सैकड़ो लोगो की जान बचाने मदद करते आये हैं।
वही सामाजिक कार्यकर्ता लालू गबेल ने कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के ज्यादा भयावह स्थिति वाले दिन देखने से पहले केंद्र से लेकर राज्य सरकार से विनम्र अपील करते हुए कहा कि वर्तमान में कोविड संक्रमण छत्तीसगढ़ प्रदेश में जिस डरावनी स्थित में राजधानी, न्यायधानी सहित प्रदेश के प्रमुख बड़े शहरों को खतरे के प्रतिशत से भी काफी ज्यादा संख्या में लोगो को अपने चपेट में ले चुका है और ले रहा है साथ ही हाल में विदेश से लौटे कुछ लोगो मे ओमीक्रान पॉजिटिव होने की पुष्टि हो चुकी है, तो भारी जनक्षति को रोकने सम्पूर्ण लॉकडाउन ही एक मात्र उपाय है, क्योकि पिछले दो सालों के अनुभव हमे बताता है कि हम छत्तीसगढ़ प्रदेश में कोरोना के शुरुआती दौर में छाती पीठ रहे थे कि पूरे देश मे छत्तीसगढ़ में कोरोना के मरीज नही के समान है कहके। लेकिन बाद में जिस तरह कोरोना ने प्रदेश में तबाही मचाना शुरू किया जिससे हजारो घर बर्बाद हो गए लोगो की जाने गई, कितने माताओ के गोद सुने, मांग से सिंदूर मिट गए, बच्चे, बूढ़े माता-पिता अनाथ, हजारो शुभचिंतकों के साथ छूट गए। लेकिन कोरोना तभी रुका जब सम्पूर्णबन्दी हुआ।
लालू गबेल ने कहा कि जिस बीमारी से स्वयं डॉक्टर भयभीत रहते है उस महामारी से आम लोगो की क्या हाल हुई ये सब सब जानते है। जहाँ मरीज के इलाज के लिए पास जाने डॉक्टरों को सौ बार सोचना पड़ जाता है वही लोग तड़फ तड़फ में मरते गए हैं। कही तीसरी लहर लोगो को बर्बाद करें उससे पहले सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे। जिस तरह कोविड संक्रमण रफ्तार में है उसको देखते हुए सभी तरफ से पाबंदी लगाना जरूरी है। खाली मास्क सेनेटाइजर कोरोना को रोक नही सकते जहाँ दो दो डोज वैक्सीन लगे लोगो को भी कोरोना अपने चपेट में ले रहा है उससे ही कोरोना का खेल सबको समझ आना चाहिए। सोशल डिस्टेंस और मास्क के नाम पर आम लोग कोविड प्रोटोकॉल के नियमों पर आये दिन क्या क्या नही झेल रहे, लेकिन शासन को कहाँ पता कि लोग सेनिटाइजर पी कर मर भी रहे तो लाखों लोगों को मास्क की आदत नही, मास्क पहनते ही दम घुटने लगता है और मास्क ना पहने तो कार्यवाही का द्वंश झेल रहे।
कोरोना संक्रमण का खतरा चौदह दिन रहेता है और प्रदेश में राजधानी सहित तमाम जिलो में जिस तरह संक्रमण के आंकड़े बढ़ रहे है उससे प्रदेश सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए, क्योकि प्रदेश के लोगो की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होती है। छत्तीसगढ़ सरकार को प्रदेश वासियों की सुरक्षा के लिए चिन्हांकित संस्थाओं मात्र को धीरे धीरे बन्द करने के बजाय लोगो को खतरे से बचाने सम्पूर्ण लॉकडाउन करना चाहिए।
भले ही 15, 20 दिन या एक महीने लॉकडाउन करना पड़े लेकिन प्रदेश से कोरोना जब तक पूर्ण रूप से खतम नही हो जाता तब तक किसी प्रकार ढील नही देनी चाहिए। जिसमें दूसरे राज्यो, विदेशों से किसी को आने की अनुमति न रहे और ट्रेनों के स्टापेज भी छत्तीसगढ़ में न रहे। आखिर कितने जान गवाएंगे इस महामारी में, साथ ही पिछले दो साल से कोरोना के कारण आम जनजीवन अस्त व्यस्त और पस्त हो चुका। दैनिक दिनचर्या के चीजो की महगांई दिनोदिन चरम पर है, कोरोना के कारण उच्चवर्ग के लोगो को फर्क नही पढ़ रहा लेकिन गरीब, मजदूर ,किसान, मध्यमवर्गीय और आम लोगो का जीना मुश्किल हो गया है, पिछले दो सालों के इस कोरोनाकाल में एक तरफ कोरोना के इलाज में सरकारी सुविधाएं पर्याप्त उपलब्ध नही तो दूसरी तरफ निजी अस्पतालों की लूट और दवाइयों की कालाबाजारी महंगाई से लोगो के कमर टूट रहे है साथ ही साथ अवसर का फायदा उठाने वाले जमाखोर, दलाल और कायर लोग आम लोगो की जरूरत की चीजों पर लूट मचा रखे है, जिस पर सरकार की कोई नियंत्रण नही। वही सरकार अपनी खजाने से कोरोना से लड़ने पैसो को पानी की तरह बहाया जा रहा है फिर भी दो सालों में कोरोना को मात नही दे सके।
अभी सामने हजारो की संख्या में शादी व्याह और अन्य मांगलिक कार्यों की तैयारी में लोग जुटे हुए है और अभी जिस तरह कोविड संक्रमण रफ्तार ले रहा है उसको देखते हुए भी सरकार को सोचना चाहिए कि कोई ठोस कदम त्वरित उठा कर लोगो की नुकसान होने से बचाये। जिस तरह संख्या निर्धारित कर कार्यक्रमों के आयोजनों की अनुमति दी जाती हैं क्या उसमे कोरोना का खतरा नही है, सभी तरह के हाट, बाजार, मेला, मॉल,मार्केट से क्या कोरोना नहीं फैलता। ऊपर से निर्धारित संख्या केवल कागजो में रहती है जमीनी हकीकत कुछ और ही रहती है। कोरोना से बचने सबको बन्द कर पूर्ण लॉकडाउन करना ही उचित है।
आखिर कब तक लोग डर डर के जीते रहेंगे कोरोना से जितने सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे।
Leave a Reply