ग्राम कचंदा से पीतर चौहन जी कांग्रेस कार्यकर्ता ने छेरछेरा त्योहार पर अन्न दान किया ।
नरेश यादव एवं साथी गण छेरछेरा जोश उमंग के साथ धान मांगने गये छेरछेरा त्योहार पर ग्राम कचंदा में।
छेरछेरा तिहार छत्तीसगढ़ में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार है यह त्यौहार ग्राम कचंदा में हर वर्ष की भांति सभी युवा बच्चे हर्षोल्लास के साथ सभी घर घर जाकर धान अन्ना को मांगते हैं ,हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी पितर चौहान कांग्रेस कार्यकर्ता सभी को अन्नदान किए।
छेरछेरा पर्व पर नरेश यादव के साथी गण प्रेमलाल कर्ष, राजा चंद्रा ,,अभिषेक श्रीवास, परमेश्वर सिंह सिदार, पुरन चंद्रा ,, योगेश यादव ,,प्रासिक पटेल ,संतोष सिदार,, कन्हैया यादव ,,महेश सिदार,,लकेशवर सिदार , सभी मिलकर पूरे गांव में घर-घर जाकर छेरछेरा कोठी के धान ला हेर हेरा कहते हुए धान मांगा हंसी खुशी से जोश उमंग के साथ नारे लगाते हुए त्यौहार को मनाया ।
छेरछेरा तिहार को छत्तीसगढ़ में अन्न दान करने का पर्व माना जाता है ।इस त्यौहार में छत्तीसगढ़ में युवक युवतियां पुरुष एवं बच्चे सभी छेर छेरछेरा मांगने घर घर जाते हैं, छत्तीसगढ़ में छेरछेरा तिहार का अलग ही महत्व है। सदियों से मनाया जाने वाला यह पारंपरिक लोक पर्व अलौकिक है, क्योंकि इस दिन रूपए पैसे नहीं धान अन्न दान करते हैं, इस दिन कोई ब्राम्हण या पंडित नहीं बल्कि सभी लोग छेरछेरा के रूप में अन्न दान मांगते हैं ,छेरछेरा त्यौहार मनाने का कोई बड़ा कारण नहीं है। छेरछेरा त्यौहार मुख्यता छत्तीसगढ़ में मनाया जाने वाला है एक त्योहार है , क्योंकि धान का कटोरा कहलाने वाला भारत का एकमात्र प्रदेश छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान प्रदेश है ,यहां पर ज्यादातर किसान वर्ग के लोग निवास करते हैं, कृषि ही जीव को पार्जन का मुख्य साधन है ,यही वजह है कि कृषि आधारित को उपार्जन एवं जीवन शैली आस्था और विश्वास ही अन्न दान करने का त्योहार है , छेरछेरा मनाने की प्रेरणा देती है,
अपने धन की पवित्रता हेतु छेरछेरा त्यौहार मनाया जाता है, लोगों की अवधारणा है कि दान करने से धन की वृद्धि होती है, यह छेरछेरा त्यौहार पुन्नी अर्थात पौष माह की शुक्ल पक्ष 15वीं तिथि को पौष पुन्नी अर्थात छेरछेरा त्यौहार कहा जाता है ,पौष माह यानी कि जनवरी माह तक अन्न का भंडारण कर लिया जाता है अतः पौष माह की पूर्णिमा को छेरछेरा मनाया जाता है
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