जिला सक्ती ,ब्लॉक मालखरौदा
प्रदेश रिपोर्टर अमीर (राजा) 24आज तक लाइव न्यूज एवं वेब पोर्टल।
लालू गबेल जी समाजिक कार्यकर्ता एवं वंंदेमातरम विद्यालय मालखरौदा के संचालक
मालखरौदा के एकमात्र शासकीय हिंदी माध्यम स्कूल बन्द होने से 748 बच्चों के भविष्य खतरे में- लालू गबेल
आखिर कहाँ जाएंगे हिंदी माध्यम के छात्र, पांच छः किलोमीटर से पहले कोई स्कूल भी नही।
सन 1955 में शासकीय मिडिल स्कूल और 1966 में शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल का स्थापना हुआ था मालखरौदा में।
जिस स्कूल में पढ़कर बड़े बड़े पदों पर बैठे लोगो को भी ब्लॉक मुख्यालय का अस्तित्व बचाने कोई सुध नही।
सामाजिक कार्यकर्ता लालू गबेल ने अंग्रेजी माध्यम स्कूल के साथ साथ हिंदी माध्यम स्कूल को भी यथावत संचालित रखने का मांग किया है
मालखरौदा- शासन द्वारा मालखरौदा के एकमात्र शासकीय हिंदी माध्यम मिडिल व हायर सेकंडरी स्कूल को बंद किया जा रहा है जहाँ अध्ययनरत 748 छात्रों के भविष्य पर गहरा असर पड़ेगा और पांच-छः किलोमीटर से नजदीक में हिंदी माध्यम के स्कूल भी नही है।
ऐसे में हिंदी माध्यम में पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य के साथ बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है साथ ही वार्षिक बोर्ड परीक्षा के वक्त शासन द्वारा ऐसा निर्णय लिया जाना छात्रों को मानसिक रुप से ठेस पहुँचाना है। जब से हिंदी माध्यम स्कूल के पूरे ए टू जेड प्रिंसीपल, शिक्षक व अन्य स्टाफ को अन्यत्र स्थानांतरण किया गया है तब से यहाँ के छात्रों को मानसिक रूप से काफी ठेस पहुँचा है और उनके साथ पालकगण भी काफी चिंतित है। वर्तमान में मालखरौदा मिडिल स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल में 748 छात्र छात्रायें अध्ययनरत है जिसमे सभी मध्यम और गरीब वर्ग के बच्चे है जिनके सामने शासन का यह निर्णय मानो सिर पर पहाड़ फुट जाने जैसी स्थिति से कम नही है। अब इन बच्चों को पढ़ने जाने के लिए छात्रों के हिसाब से बहुत लंबी दूरी तय कर जाना होगा।
दुर्भाग्य की बात हैं कि जिस 81 पंचायत के मुख्यालय में स्कूल की स्थापना को 66 वर्ष हो गए उसका अस्तित्व खत्म हो रहा है लेकिन मालखरौदा क्षेत्र के तमाम जनप्रतिनिधियों को मुख्यायल की शान बचाने सुध तक नही।
मालखरौदा मुख्यालय में आजादी के बाद सन 1955 में मिडिल स्कूल का और 22 दिसंबर1966 को हायर सेकंडरी स्कूल का स्थापना हुआ था जिसमें ना जाने कितने छात्र छात्रायें पढ़ कर नीचे से ऊपर शासन प्रशासन के प्रतिष्ठित पदों पर देश प्रदेश की सेवा कर रहे है आज उसी स्कूल का अस्तित्व बचाने कोई नही है।
सामाजिक कार्यकर्ता लालू गबेल ने शासन से निवेदन पूर्वक मांग किया है कि अंग्रेजी माध्यम के साथ हिंदी माध्यम को भी यथावत संचालित करें ताकि गरीब बच्चों का किसी प्रकार अहित न हो।
गबेल ने कहा कि अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ पाना और पढ़ा पाना हर किसी के बस मे नही होता क्योंकि जो पालक अंग्रेजी नही जानते या जो गरीब पालक पढ़े लिखे नही है वह बच्चों को घर मे अंग्रेजी माध्यम का गाइड लाइन नही दे सकते और बिना पालक के मार्गदर्शन बिना शिक्षा के क्षेत्र में बच्चे केवल स्कूल में ही सब कुछ नही सीख सकते। ऐसे में हिंदी माध्यम बन्द होने से मध्यम और गरीब वर्ग के छात्रों को बहुत नुकसान होगा।
Leave a Reply